I am deleting my poems. I am deleting my poems.
I am deleting my poems I am deleting my poems
तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं। तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं।
सुना है ईद आई थी कई लोग खुश भी थे हुस्न ओ कीमती लिबासों में बिखरे हुए मुबारकबाद देते थे कई हसीन हाथो... सुना है ईद आई थी कई लोग खुश भी थे हुस्न ओ कीमती लिबासों में बिखरे हुए मुबारकबाद ...
आखिर कौन है वो जो आईना पहने फिरता है आखिर कौन है वो जो आईना पहने फिरता है
वोह बचपन भी कितना सुहाना था जिसमे हर दिन एक फ़साना था। वोह बचपन भी कितना सुहाना था जिसमे हर दिन एक फ़साना था।